इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (electronic voting machines) का इस्तेमाल भारत में आम चुनाव तथा राज्य बिधानसभाओं के चुनाव में आंशिक रूप से 1999 तथा 2004 में से इसका पूर्ण रूप से इस्तेमाल हो रहा है इस मशीन के प्रयोग से जाली मतों की संख्या कम हो जाती है तथा कम पढ़े लिखे लोग इसका आसनी से इस्तेमाल कर सकते हैं
मत पेटिका की तुलना में ई वी एम को लाने ले जाने में आसानी होती है इसकी डिजायन तथा खोज भारत इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड बंगलौर तथा इलेक्ट्रोनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया हैदराबाद ने मिलकर की है
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में 6 रोचक बातें - 6 interesting things about Electronic Voting Machines
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का सबसे पहले प्रयोग मई 1982 में केरल (Kerala) के परूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के 50 मतदान केंद्र पर हुआ था
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बिना लाईट के भी प्रयोग की जा सकती है यह मशीन बैट्री से भी चलती है
- एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अधिकतम 3840 बोट दर्ज कर सकती है
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अधिकतम 16 अभ्यार्थीयों के लिए काम कर सकती है
- 2004 के आम चुनावों में 10.75 लाख इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया गया था
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के अन्दर 10 सालों तक परिणाम को सुरक्षित रखा जा सकता है
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