खगोल में खोजबीन करने के बाद यह अज्ञात ग्रह 23 सितम्बर 1846 को पहली बार दूरबीन से देखा गया और इसका नाम "नॅप्टयून" (Neptune) रख दिया गया "नॅप्टयून" प्राचीन रोमन धर्म में समुद्र के देवता थे, जो स्थान प्राचीन भारत में "वरुण" देवता का रहा है, इसलिए इस ग्रह को हिन्दी में वरुण कहा जाता है आइये जानते हैं वरुण ग्रह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी-
वरुण ग्रह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
- वरुण ग्रह का नाम सागर के रोमन देवता के नाम पर रखा गया है
- वरुण ग्रह अरुण ग्रह से मिलता जुलता है इसे अरुण ग्रह का सहोदर अथवा जुड़वा भाई कहते है
- वरुण ग्रह सूर्य से दूरस्थ आठवाँ ग्रह है
- वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से17 गुना अधिक है
- वरुण ग्रह की खोज1946 में जॉन गेले ने की थी
- वरुण ग्रह के वायुमंडल में मुख्य रूप से हाईड्रोजन गैस पाई जाती है इसके साथ ही कुछ मात्र में मीथेन गैस भी पाई जाती है
- इसी के कारण ही यह ग्रह हरे रंग का दिखाई देता है
- वरुण ग्रह की सूर्य से औसत दूरी 450 44 50 000 किमी है
- वरुण ग्रह 166 वर्षो में सूर्य की परिकर्मा करता है और 12.7 घन्टे में अपनी देनिक गति पूरी करता है
- वरुण पृथ्वी के मुक़ाबले में सूरज से लगभग तीस गुना अधिक दूर है
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