सातवाहन वंश (Satavahana Dynasty ) भारत का पुराना वंश है सातवाहन वंश के अनेक प्रतापी सम्राटों ने विदेशी शक आक्रान्ताओं के विरुद्ध भी अनुपम सफलता प्राप्त की थी आइये जानते हैंं सातवाहन वंश केे बारे में और अधिक जानकारी -Important information about Satavahana Dynasty in Hindi
history of satavahana dynasty in Hindi - सातवाहन वंश का इतिहास
- कण्व वंश के अन्तिम शासक सुशर्मा की हत्या करके सिमुक ने सातवाहन वंश की स्थापना 28 ई० में की थी
- सिमुक को सिंधुक, शिशुक, शिप्रक, तथा बृषल भी कहा जाता है
- सिमुक के बाद उसका छोटा भाई कृष्ण राजगद्दी पर बैठा था
- सातवाहन वंश के प्रमुख शासक सिमुक, शातकर्णी, गौतमी पुत्र शातकर्णी, वाशिष्ठी पुत्र पुलुमावी तथा यज्ञ श्री शातकर्णी आदि थे
- शातकर्णी प्रथम ने शातकर्णी सम्राट, दक्खिनापथपति तथा अप्रतिहतचक्र की उपाधियॉ धारण की थी
- सातवाहन वंंश का सर्वश्रेष्ठ शासक गौतमी का पुत्र शातकर्णी था
- वेणकटक नामक नगर की स्थापना गौतमी का पुत्र शातकर्णी ने की थी
- सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत थी
- सातवाहनवंशी राजकुमारों को कुमार कहा जाता था
- सातवाहन काल में सरकारी आय केे महत्वपूर्ण साधन भूमिकर, नमक कर, तथा न्याय शुल्क कर था
- सातवाहन काल में तीन प्रकार के सामंत महारथी, महाभोज तथा महासेनापति थे
- इस काल में तॉबे तथा कॉसे के अलावा सीसे के सिक्के काफी प्रचलित हुऐ
- सातवाहन काल में मुख्य रूप से दो धार्मिक भवनोेंं का निर्माण काफी संख्या में हुआ - चैत्य अर्थात बौद्ध मंदिर और बौद्ध भिक्षुुओं का निवास स्थान
- सातवाहन काल में व्यापारी को नैगम कहा जाता था
- व्यापारियों के काफिले के प्रमुख को सार्थवाह कहा जाता था
- सातवाहनोंं ने ब्राह्मणों को सर्वप्रथम भूमिदान एवं जागीर देने की प्रथा का आरम्भ किया था
Satavahana Dynasty (Satavahana Empire),THE SATAVAHANAS – HISTORY AND GENERAL STUDIES, सातवाहन वंश का संस्थापक, Satavahana Empire - History of Ancient Satavahana Dynasty
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