गुुप्त वंश (Gupta Dynasty) भारत का बहुत पुराना वंश था इस वंश में अनेकों प्रतापी राजा हुऐ प्रारम्भ में इस वंश का शासन मगध तक ही था बाद में इस वंश ने अपना शासन पूरे उत्तर भारत पर कर लिया आइये जानते हैंं गुप्त वंश केे बारे में और अधिक जानकारी -
Important information about the Gupta Dynasty in Hindi - गुुप्त वंश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
यह भी पढें - कुषाण वंश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
- गुप्त वंश की स्थापना श्रीगुप्त ने की थी
- इस वंश की उदय तीसरी सदी के अंत में प्रयाग के निकट कोशाम्बी में हुआ था
- श्री गुुप्त ने मगध के मृग शिखातन में एक मंदिर का निर्माण करवाया था
- श्री गुुप्त ने महाराज की उपाधि हासिल की थी
- श्री गुप्त ने धटोत्कच काेे अपना उत्तराधिकरी बनाया था
- धटोत्कच ने अपने उत्तराधिकरी के रूप मेंं चन्द्रगुप्त प्रथम को गद्दी पर बिठाया था
- गुप्त वंश का सबसे महान सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम था
- इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने लच्छवी कुल की कन्या कुमारदेवी से शादी की थी
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने पुत्र समुद्रगुप्त को राजगद्दी पर बिठाया और सन्यास ग्रहण कर लिया था
- समुद्रगुप्त 335ई० में राजगद्दी पर बैठा था
- समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था
- समुद्रगुप्त ने अश्वमेघकर्ता की उपाधि धारण की थी
- समुद्रगुप्त संंगीत का बहुत प्रेमी था
- गुप्त कालीन सिक्कों में समुद्रगुप्त काे वीणा वादन करते हुऐ दिखाया गया है
- श्री लंका के राजा मेघवर्मन ने कुछ उपहार भेज कर समुद्रगुप्त से गया में बौद्ध मंदिर बनबाने की अनुमति मॉगी थी
- भारतीय इतिहास में समुद्रगुप्त काेे भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है
- समुद्रगुप्त को कविराज भी कहा जाता है
- समु्द्रगुप्त ने 355 ई० से 375 ई० राज किया था
- समुद्रगुप्त केे बाद रामगुप्त राजगद्दी पर बैैठा था
- रामगुप्त की हत्या चन्द्रगुप्त द्वतीय ने की थी
- चन्द्रगुप्त द्वतीय 380 ई० में राजगद्दी पर बैठा था
- चन्द्रगुुप्त द्वतीय ने विक्रमादित्य की उपाधि भी धारण की थी
- चन्द्रगुुप्त द्वतीय को शकों पर विजय पाने के लिए शकारि भी कहा जाता था
- शकों कोे पराजित करने के उपलक्ष्य में चन्द्रगुप्त द्वतीय ने चॉदी के विशेष सिक्के जारी किये थेे
- चन्द्रगुप्त द्वतीय ने वाकाटक राज्य को अपने राज्य में मिलाकर उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया था
- चन्द्रगुप्त द्वतीय के दरबार के नवरत्न कालिदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, धन्वंतरि, तथा अमरसिंह आदि थे
- चीनी यात्री फाह्यान चन्द्रगुप्त के शासन काल में भारत आया था
- चन्द्रगुप्त द्वतीय ने 380 ई० से 413 ई० तक शासन किया था
- चन्द्रगुप्त के बाद कुमार गुप्त राजगद्दी पर बैठा था
- चन्द्रगुप्त द्वतीय के शासन काल में सस्कृत के सबसे महान कवि कालिदास थे
- चन्द्रगुप्त द्वतीय केे दरवार में रहने वालेे आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि थे
- नालन्दा विश्वविद्यालय के संस्थापक कुुमारगुप्त था
- कुमारगुप्त के बाद स्कन्दगुप्त राजगद्दी पर बैठा था
- स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी
- स्कन्द गुप्त के काल मे ही हूणों का भारत पर हुआ था
- गुप्त वंश का अंंतिम महान सम्राट स्कन्दगुप्त था
- गुप्त काल का अंतिम शासक भानुु गुप्त था
- गुप्त काल में राजपद वंशानुगत सिद्धांत पर आधारित था
- गुप्त सम्राट न्यान, सेना एवं दीवानी विभाग का प्रधान होता था
- गुप्त काल मेंं सबसे बडी प्रादेशिक इकाई देश थी जिसके शासक को गोजा कहा जाता था
- गुप्त काल में पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट एवं भाट कहा जाता था
- गुप्त काल में उज्जैन नगर सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल था
- गुप्तकाल में स्वर्ण मुद्राओं की अभिलेखों में दीनार कहा जाता है
- शिव केे अर्धनारीश्वर रूप की कल्पना एवं शिव तथा पर्वती की एक साथ मूर्तियों की निर्माण गुप्तकाल में हुआ था
- त्रिमूर्ति पूजा के अर्न्तगत ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा गुप्त काल में अारम्भ हुई थी
- गुप्त काल मेंं मंदिर निर्माण कला का जन्म हुुआ था
- भगवान शिव के एकमुखी एवं चतुर्मखी शिवलिंग का निर्माण गुप्तकाल में हुआ था
- अजन्ता की गुफाओं में चित्रकारी गुप्तकाल की देन है
- अजन्ता में निर्मित कुुल 29 गुफाआेेंं में से वर्तमान मेंं केवल 6 गुफायें ही शेष हैं
- अजन्ता में निर्मित गुफा संख्या 16 और 17 गुप्तकाल से संबन्धित हैं
- गुप्तकाल में वेश्यावृति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था
- विष्णु का वाहन गरूण गुुप्त काल का राजचिन्ह था
- गुप्तकाल में चांदी केे सिक्कों को रूप्यका कहा जाता था
- गुप्त काल में अठ्ठाहर प्रकार केे कर थे
- गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल कहा जाता है
Interesting facts and information about Gupta empire, The Gupta Period of India, The Gupta Dynasty,
bhut bhut dhanyabad ji
ReplyDeletepehele mai dhannaywad dena chahunga ... kyuki mujhe ye pdhkar bahut accha lga ese hi aap hum student logo ka support kre
ReplyDelete