भारतीय संविधान (Indian Constitution) में नागरिकों के लिए बिशेष अधिकार प्रदान किए गये हैं आइये जानते हैं इन मूल अधिकारों के बारे में -
Fundamental rights of citizens in the Constitution - भारतीय संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार
- समानता का अधिकार (Right to Equality) -
- इस अधिकार के तहत भारत के राज्य क्षेत्र में राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करता
- राज्य किसी नागरिक के खिलाफ केवल धर्म, मूल, वंंश, जाति, लिंग जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर को विभेद नहीं करेगा
- सब नागरिकों को सरकारी पदों पर नियुक्ति के समान अवसर प्राप्त होंंगे और इस संबन्ध मेंं केवल धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंंग या जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर सरकारी नौकरी या पद प्रदान करने में भेदभाव नहीं किया जाएगा
- सेना अथवा विद्या संबन्धी उपाधियों केे अलावा राज्य कोई भी उपाधि प्रदान नहीं कर सकता हैै इसके साथ ही भारत का कोई नागरिक बिना राष्ट्रपति की आज्ञा के विदेशी राज्य से भी कोई उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता हैै
- स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom) -
- किसी व्यक्ति को उस समय तक अपराधी नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि उसने अपराध के समय में लागू किसी कानून का उल्लंघन न किया हो इसकेे साथ ही एक अपराध केे लिए किसी व्यक्ति को एक ही बार दण्ड दिया जा सकता है और किसी अपराध में अभियुक्त व्यक्ति को स्वंय अपने खिलाफ गवाही देने के लिए बाघ्य नहीं किया जा सकता हैै
- किसी व्यक्ति को उसके जीवन तथा दैहिक स्वाधीनता से विधी द्वारा स्थापित प्रक्रिया को छोडकर अन्य किसी प्रकार से वंचित नहींं किया जा सकता हैै
- बंदी बनाए गए व्यक्ति को उसकेे अपराध अथवा बंदी बनाए जाने के कारणों को बतलाए बिना अधिक समय तक बंदीगृह में नहीं रखा जा सकता है बंदी बनाए गए व्यक्ति को वकील से परामर्श करने और अपने बचाव के लिए प्रबन्ध करने का अधिकार प्राप्त होगा जिसेे बंदी बनाया गया हैै उसे 24 घन्टे के भीतर निकटस्थ मजिस्ट्रेट से समक्ष उपस्थित करना आवश्यक होगा0
- मूूल संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा नागरिकाें काेे 6 स्वतंंत्रताऍ प्रदान की गई है
- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंंत्रता
- अस्त्र-शस्त्र रहित तथा शान्तिपूर्वक सम्मेलन की स्वतंंत्रता
- समुदाय और संघ के निर्माण की स्वतंंत्रता
- भारत राज्य क्षेत्र में भ्रमण की स्वतंत्रता
- भारत राज्य क्षेत्र में निवास की स्वतंत्रता
- शोषण्ा के विरुद्ध अधिकार (right against exploitation) -
- इस अधिकार के तहत मानव किसी व्यक्ति से बेेगार या जबरदस्ती काम लेना गैैरकानूनी घोषित किया गया है
- 14 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को कारखानों, खानों या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (right to religious freedom) -
- राज्य किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है जिसकी आय किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक सम्प्रदाय के उन्नति या पाेेषण में व्यय करने के लिए विशेष रूप से निश्चित कर दी गई हो
- राजकीय निधि से संचालित किसी भी शिक्षण संंस्था मेंं किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जाएगी इसकेे साथ ही राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्था में किसी व्यक्ति को किसी धर्म-विशेष की शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाघ्य नहींं किया जा सकेेगा
- सभी व्यक्तियों को अन्त: करण की स्वतंत्रता तथा कोई भी धर्म अंंगीकार करने उसका अनुसरण एवंं प्रचार करने का अधिकार प्राप्त होगा
- अनुच्छेद 26 के तहत प्रत्येक धर्म के अनुयायियों के निम्नलिखित अधिकार प्रदान किए गए हैंं
- धार्मिक संस्थाओं तथा दान से पोषित सार्वजनिक सेवा संस्थाओं की स्थापना तथा उनके संचालन का अधिकार
- धर्म-संबन्धी निजी मामलों के प्रबन्ध का अधिकार
- चल और अचल संंपत्ति के अर्जन और स्वामित्व करने का अधिकार
- उक्त संंपत्ति का विधि के अनुसार संचालन करने का अधिकार
- संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (Cultural and Educational Rights)
- नागरिकों के प्रत्येक वर्ग को अपनी भाषा लिपि या संस्कृति सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है
- धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रूचि की शैैैैक्षणिक संस्थओं की संस्थापना तथा उनके प्रशासन की अधिकार होगा राज्य आर्थिक सहायता देने में ऐसी संस्थाओं के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहींं करेगा
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)
- मूल अधिकारों का यदि राज्य द्वारा उल्लंंघन किया जाए जाये तो राज्य के खिलाफ उपचार प्राप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय में एवं उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल करने का अधिकार नागरिकों को प्रदान किया गया है
- मूूल अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालयों को निम्नलिखित पॉच प्रकार के रिट को जारी करने की शक्ति है
- बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas corpus) - इसके द्वारा न्यायालय बंदीकरण करनेे वाले अधिकारी को आदेश देता है कि वह बंदी बनाए गए व्यक्त्िा को निश्चित समय और स्थान पर उपस्थित करे जिससे न्यायालय बंदी बनाए जाने के कारणों पर विचार करे न्यायालय इस बात का निर्णय करता है अगर न्यायालय को उसका बंदी होना गलत लगता है तो न्यायालय उस व्यक्ति की रिहाई के आदेश भी दे देता हैै
- परमादेश (Mandamus) - जब कोई पदाधिकारी अपनेे सर्वाजनिक कर्त्तव्य का निर्वाह नहींं करता है इस प्रकार के आज्ञा-पत्र के आधार पर पदाधिकारी को उसके कर्त्तव्य का पालन करने का आदेश जारी किया जाता है
- प्रतिषेध (Prohibition) - जब कोई अधीनस्थ न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जा रहा है अर्थात कोई ऐसा कार्य कर रहा है जाेे उसके अधिकार क्षेत्र में न हो तो उच्चतम या उच्च न्यायालय उसे ऐसा करने से रोक सकता है प्रतिरोध आदेश केवल न्यायिक प्रधिकारियों के खिलाफ ही जारी किए जा सकते हैं प्रशासनिक कर्मचारियों के खिलाफ नहीं
- उत्प्रेषण (Certiorari) - यह आज्ञा पत्र निम्न न्यायालय से उच्च न्यायालय में भेजने के लिए जारी किए जाता है जिससे वह अपनी शक्ति से अधिक अधिकारों का उपयोंग न करें या अपनी शक्ति का दुरूपयोग करते हुऐ न्याय के प्राकृतिक सिद्धान्तों काेे भंग न करे इस आज्ञा पत्र के आधार पर उच्च न्यायालय निम्न न्यायाधीशाें के किन्हीं विवादाें के संबन्ध में सूचना प्राप्त कर सकते हैंं
- अधिकार-पृच्छा (Quo-warranto) -जब कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक पद को गैर-कानूनी तरीके से प्राप्त कर लेता है या गैर-कानूनी तरीके से किसी पद पर बना रहता है तो न्यायालय पूछ सकता हैै कि उसने पद पर बने रहने का क्या हक है
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