पं० दीनदयाल उपाध्याय जी (Pandit Deen Dayal Upadhyay ji) एक भारतीय विचारक, अर्थशाष्त्री, समाजशाष्त्री, इतिहासकार और पत्रकार थे उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माण में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई थी आइये जानते हैंं Biography of Pandit Deen Dayal Upadhyay in Hindi - पं० दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय
Biography of Pandit Deen Dayal Upadhyay in Hindi - पं० दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय
पं० दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deen Dayal Upadhyay) का जन्म 25 सितम्बर 1916 ई० को मथुरा (Mathura) जिले के छोटे से गाँव नगला चन्द्रभान में हुआ था इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय (Bhagwati Prasad Upadhyay) और माता का नाम रामप्यारी (Ram Pyari) था इनके पिता रेलवे में कार्यरत थेे और उनका अधिक समय बाहर ही व्यतीत होता था इसलिए दीनदयाल जी का बचपन अपने नाना चुन्नीलाल शुक्ल जी के यहाॅॅ व्यतीत हुुआ जो धनकिया में स्टेशन मास्टर थे जब दीनदयाल जी की आयु मात्र तीन वर्ष की थी तब उनके पिता का देहान्त हो गया था इनके पिता केे देहान्त के बाद इनकी माता भी बीमार रहने लगी और 8 अगस्त 1924 ई० को इनका भी देहान्त हो गया सात वर्ष की कोमल अवस्था में दीनदयाल जी माता पिता के प्यार से वंचित हो गये
दीनदयाल जी परीक्षा में हमेशा प्रथम स्थान पर आते थे उन्हेंने मैट्रिक और इण्टरमीडिएट-दोनों ही परीक्षाओं में गोल्ड मैडल प्राप्त किया था इन परीक्षाआें को पास करने के बाद वे आगे की पढाई करने के लिए एस.डी. कॉलेज, कानपुर में प्रवेश लिया वहॉ उनकी मुलाकात श्री सुन्दरसिंह भण्डारी, बलवंत महासिंघे जैसे कई लोगों से हुआ इन लोंगोंं से मुलाकात होने के बाद दीनदयाल जी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रमों में रुचि लेने लगे दीनदयाल जी ने वर्ष 1939 में प्रथम श्रेणी में बी.ए. की परीक्षा पास की बी.ए पास करनेे के पश्चात दीनदयाल जी एम.ए की पढाई करने के लिए आगरा चले गयेे लेकिन उनकी चचेरी बहन रमा देवी की मृत्यु हो जाने के कारण वे एम.ए की परीक्षा न दे सके
एक बार पं० दीन दयाला उपाध्याय जी ने सरकार द्वारा संचालित प्रतियोगी परीक्षा दी वे इस परीक्षा मेंं धोती कुर्ता और सर पर टोपी लगाकर गये जबकि अन्य परीक्षार्थी पश्चिमी सूट पहनकर आये थे तो उनका काफी मजाक उडाया गया और उन्हें पंडित कहकर पुकारा गया यह एक उपनाम था जिसे लाखों लोग बाद के वर्षों में उनके लिए सम्मान और प्यार से इस्तेमाल किया करते थे इस परीक्षा में दीनदयाल जी चयनित उम्मीदवारों में सबसे ऊपर रहे
इसके बाद दीनदयाल जी ने लखनऊ जाकर राष्ट्र धर्म प्रकाशन नामक प्रकाशन संस्थान की स्थापना की और एक मासिक पत्रिका राष्ट्र धर्म शुरू की उन्होने एक साप्ताहिक समाचार पत्र ‘पांचजन्य’ और एक दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेश’ शुरू किया था. उन्होंने नाटक ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ और हिन्दी में शंकराचार्य की जीवनी लिखी
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (DR. Shyama Prasad Mukherjee) भारतीय जनसंघ की स्थापना 1951 में की और दीनदयाल अपने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) शाखा के पहले महासचिव बने इसके बाद दीनदयाल जी 15 साल के लिए, वह संगठन के महासचिव बने
11 फ़रवरी 1968 को 52 वर्ष की अवस्था में दीनदयाल जी हत्या कर दी गई इनका पार्थिक शरीर मुगलसराय स्टेशन के यार्ड में मिला था
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