हिन्‍दी फिल्‍म निर्माता संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) रानी पद्मावती (Queen Padmavati) के जीवन पर आधारित एक फिल्‍म बना रहे हैं जो काफी विवादित हो रही है रानी पद्मावती एक कविता थी जिसे सन 1540 में मलिक मोहम्मद जायसी (Malik Muhammad Jayasi) द्वारा लिखी गई थी यह कविता रानी के जौहर करने की घटना के लगभग 240 सालों बाद लिखा गया था तो आइये जानें कौन थींं रानी पद्मावती - Who Was Queen Padmavati -

जानें कौन थी रानी पद्मावती - Who Was Queen Padmavati

रानी पद्मावती (Queen Padmavati) चित्‍तौड के राजा रावल रतन सिंह की रानी थीं जो अपने सौन्दर्य (Beauty) के लिए काफी प्रचलित थी रानी पद्मावती से राजा रावल रतन सिंह ने स्‍वंयवर को जीतकर शादी की थी पुराने समय में स्‍वंयवर एक प्रतियोगिता होती थी जो कन्‍या पक्ष के द्वारा आयेाजित की जाती थी रानी पद्मावती का जन्‍म सिंघाला में हुआ था रानी पद्मावती के पिता का नाम गंधार्व्सेना और माता का नाम चम्पावती था रानी पद्मावती के पास एक बोलने वाला तोता था जिसका नाम हीरामणि था राजा रावल रतन सिंह बहुत ही बहादुर राजा थे उनके दरबार में एक राघव चेतन नामक संगीतकार था जो एक जादूगर भी था जब राजा को उसके बारे मेें पता चला तो राजा रावल रतन सिंह ने उसे देश से निकाल दिया और वह अपने अपमान का बदला लेने के लिए दिल्ली के सुल्‍तान अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) से जाकर मिल गया और उसने राजा रावल रतन सिंह की रानी पद्मावती की सुन्‍दरता के बारे में अलाउद्दीन खिलजी को बताया तो अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) के मन में रानी को देखने की इच्‍छा जाहिर हुई और उसने राजा रावल रतन सिंह (King Rawal Ratan Singh) को संंदेश भिजवाया कि वह रानी पद्मावती को देखना चाहता है लेकिन रानी ने मना कर दिया लेकिन राजा के कहने पर रानी तैयार हो गई लेकिन रानी ने एक शर्त रखी कि वह  सुल्‍तान को अपना चेेहरा दर्पण में दिखायेंगी अलाउद्दीन खिलजी तैयार हो गया लेकिन जब अलाउद्दीन खिलजी ने रानी का चेहरा देखा तो उसने रानी को अपना बनाने की ठान ली और राजा रावल रतन सिंह को बंदी बना लिया और यह शर्त रखी कि अगर तुम्‍हें अपना राजा चाहिए तो रानी पद्मावती को मुझे सौंपना पडेगा लेकिन राजा की सेना ने ये स्‍वीकार नहीं किया और अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध किया जब राजा रावल रतन सिंह की सेना हारने लगी तब रानी पद्मावती अपने और अपनी प्रजा की महिलाओं की रक्षा के लिए महिलाओं को साथ लेकर आग में कूद गई थीं जिसे राजपूतोंं में जौहर भी कहा जाता है जौहर एक ऐसी क्रिया थी जिसमें राज्‍य की हार होने पर स्त्रियां अपनी इच्‍छा से आग के एक बडे से कुण्‍ड में कूदकर अपनी जान दे देती थीं

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