अभिमन्‍यु भारद्वाज 5:07:00 PM
Mohammad Rafi मोहम्मद रफी का जीवन परिचय (Biography) - सुरों के बेताज बादशाह मोहम्‍मद रफी Mohammad Rafi जी जिन्‍हें रफी साहब भी कहा जाता है रफी साहब के गानों के दीवानों की कभी कमी नहींं रही है आज भी Mohammed Rafi साहब के गाने गुनगाये और सुने जाते हैं तो आइये जानते हैं इस महान गायक के जीवन के बारे में

मोहम्मद रफी का जीवन परिचय - Biography of Mohammad Rafi

यह भी पढें - लता मंगेशकर का जीवन परिचय
  • Mohammed Rafi का जन्‍म 24 दिसम्बर, 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था
  • इनकी माता का नाम अल्‍लाराखी (Allarakhi) और पिता का नाम हाजी अली मुहम्‍मद (Haji Ali Muhammad) था
  • बचपन में Mohammed Rafi अपने बड़े भाई की नाई की दुकान समय बिताया करते थे
  • उस दुकान से होकर प्रतिदिन एक फकीर गाते हुए गुजरा करते थे.
  • रफी साहब उस समय मात्र सात साल के थे और रफी उनका पीछा किया करते थे
  • रफी साहब फकीर के गीतों को गुनगुनाते रहते थे
  • जब फकीर उन्‍हें गाने गुनगुनाते हुऐ देखा तो उन्‍हें बहुत बड़ा गायक बनने का आशीर्वाद दिया था
  • रफी साहब की गाने के तरफ रुचि देखकर उनके बडे भाई ने उन्‍हें उस्ताद अब्दुल वाहिद खान से शिक्षा प्राप्त करने की सलाह दी
  • इन्‍होंने अपना पहला गाना 13 वर्ष की उम्र में गाया था
  • इसके बाद 1941 में रफ़ी ने श्याम सुंदर के निचे लाहौर में ही प्लेबैक सिंगर के रूप में “सोनिये नी, हीरिये नी” से पर्दापण किया
  • और इसी साल ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन ने उन्हें गाना गाने के लिये आमंत्रित भी किया था
  • रफ़ी ने अपना पहला गाना वर्ष 1944 में पंजाबी फ़िल्म 'गुल बलोच' के लिए गाया था
  • इन्‍होंने अपनी पहली शादी 13 साल की उम्र में चाची की बेटी बशीरन बेगम से कर ली थी
  • लेकिन कुछ ही साल बाद बशीरन से तलाक ले लिया. इसके बाद उनकी दूसरी शादी विलकिस बेगम के साथ हुई थी
  • इन्‍होंनेे हिन्‍दी में पहला गाना मुम्‍बई में 'गाँव की गोरी' फिल्‍म के लिए वर्ष 1945 में गाया था
  • रफी साहब की मृत्‍यु दल का दौरा पड़ने से 31 जुलाई 1980 की रात को हो गयी थी
  • इनका अंतिम संस्कार जुहू मुस्लिम कब्रिस्तान में किया गया था इनके अंतिम संस्‍कार में तकरीबन 10000 लोग उपस्थित थे

Mohammed Rafi को मिले पुरस्‍कार


  • रफी साहब जी को वर्ष 1965 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था
  • इन्‍हें 6 बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से भ्‍ाी नवाजा गया था
  • रफी साहब को ‘चौदहवीं का चांद’ (1960) के शीर्षक गीत के लिए पहली बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था
  • इनके द्वारा गया गया अंतिम उन्होंने अपना अंतिम गीत आस पास फिल्म के लिये था

Post a Comment

Post a Comment

यह बेवसाइट आपकी सुविधा के लिये बनाई गयी है, हम इसके बारे में आपसे उचित राय की अपेक्षा रखते हैं, कमेंट करते समय किसी भ्‍ाी प्रकार की अभ्रद्र भाषा का प्रयोग न करें