रविन्द्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय - Biography of Rabindranath Tagore In Hindi - रविन्द्र नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक थे जिन्हें गुरूदेव कहकर भी पुकारा जाता था इन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया था ये एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) सम्मानित व्यक्ति हैं तो आइये जानते हैं रविन्द्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय - Biography of Rabindranath Tagore
रविन्द्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय - Biography of Rabindranath Tagore In Hindi
यह भी पढें - रबिन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन- इनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ
- इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ ठाकुर और शारदा देवी था
- इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल पूरी की थी
- टैगोर को बैरिस्टर बनाने की चाहत में इनके पिता जी ने इनका नाम 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन पब्लिक स्कूल में दर्ज कराया
- लेकिन बैरिस्टरी में इनकी रूचि न होने के कारण ये 1880 में बिना डिग्री हासिल किए ही वापस आ गए
- इनका विवाह सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ था
- रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी पहली कविता महज आठ वर्ष की अवस्था में लिखी थी
- इन्होंने लगभग 2230 गीतों की रचना की थी
- टैगोर जी ने 1901 में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की थी
- टैगोर जी को उनकी रचना गीतांजलि (Gitanjali) के लिए वर्ष 1913 में नोबेल पुरूस्कार प्रदान किया गया था
- रविन्द्र नाथ टैगोर एशिया के प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जिन्हेें साहित्य केे लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर 1878 से लेकर 1930 के बीच सात बार इंग्लैंड गए
- सन 1915 में अंग्रेजो द्वारा टैगोर जी को ‘सर’ की उपाधि दी गई थी
- लेकिन अप्रैल 1919 में हुऐ जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ के बाद रविन्द्र नाथ टैगोर ने अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदान की गई ‘सर’ की उपाधि का त्याग कर दिया था
- वे एकमात्र कवि थे जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान "जन गण मन" और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान "आमार सोनार"
- उनकी प्रमुुुुख प्रकाशित कृतियों में - गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया गया था
- रविन्द्र नाथ टैगोर ने ही गान्धीजी को सबसे पहली बार महात्मा कहकर पुकारा था
- भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रबीन्द्रनाथ ठाकुर जी की मृत्यु 7 अगस्त, 1941 को कलकत्ता में हुई थी
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