दोस्तों भारत के हैदराबाद में स्वामी रामानुजाचार्य (Swami Ramanujacharya) 216 फीट ऊंची बैठी हुई प्रतिमा स्थापित हो गई है इस जगह को स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी (Statue of Equality) नाम दिया गया है यह प्रतिमा दुनियाँ की दूसरी सबसे ऊंची बैठी हुई प्रतिमा है दुनियाँ की पहली सबसे ऊंची बैठी हुई प्रतिमा ग्रेट बुद्धा की है जो थाइलैंड में है इसकी ऊंचाई 302 फीट है हालांकि राजस्थान (rajasthan) के नाथद्वारा में 351 फीट ऊंची शिव मूर्ति भी तैयार हो चुकी है, लेकिन इसका इनॉगरेशन मार्च में है लेकिन स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमा का इनॉगरेशन फरवरी में है तो आइए जानें दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सिटिंग स्टैच्यू के बारे में - Know about the world's second largest sitting statue
जानें दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सिटिंग स्टैच्यू के बारे में - Know about the world's second largest sitting statue
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- फरवरी 2022 में रामानुजाचार्य के स्टैच्यू का इनॉगरेशन पीएम मोदी (PM Modi) करने जा रहे हैं इस स्टैच्यू के साथ 108 मंदिर भी बनाए गए हैं
- इसके साथ ही 120 किलो सोने का इस्तेमाल करते हुए आचार्य की एक छोटी मूर्ति भी तैयार की गई है
- वैष्णव संप्रदाय के संत चिन्ना जीयर स्वामी की देखरेख में पूरे हुए इस प्रोजेक्ट पर अब तक 1400 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं
- इस प्रतिमा की डिजायन को तय करने के लिए 14 मिट्टी की प्रतिमाएं तैयार की गयीं
- इन प्रतिमाओं को चीफ आर्किटेक्ट आनंद साईं ने अपनी टीम के साथ मिलकर किया
- इन सभी 14 प्रतिमाओं मेँ से 4 प्रतिमाओं को पसंद किया गया और इसके बाद इन 4 प्रतिमाएं के सुंदर भागों को एकत्रित करके एक नई 5 वीं नई प्रतिमा तैयार की गईं
- इसके बाद फाइनल की गई प्रतिमा की बैंगलुरु मैं 3D स्कैनिंग की गई
- इसके बाद चीन की एरोसन कारपोरेशन के साथ इस प्रतिमा को बनाने का कॉन्ट्रेक्ट 14 अगस्त 2015 को फाइनल हुआ
- इस प्रतिमा को शस्त्रों के तहत बनाया गया है इसलिए इसके हर भाग का मेजरमेंट 9 रखा गया है
भाग | मेजरमेंट | योग |
---|---|---|
मूर्ति की हाइट | 108 फीट | 1+0+8=9 |
कुल हाइट | 216 फीट | 2+1+6=9 |
कमल पंखुड़ियाँ | 54 | 5+4=9 |
हाथी | 36 | 3+6=9 |
पद पीठम | 27 फीट | 2+7=9 |
सीढ़ियाँ | 108 | 1+0+8=9 |
- दरअसल 9 एक शाश्वत नंबर है यह संख्या अनिश्चितकाल तक जारी मानी जाती है
- चीन की कंपनी ने 2016 में प्रतिमा को बनाने का काम शुरू किया था
- प्रतिमा के भागों की सबसे पहले थर्माकोल पर डिजायन तैयार किया गया
- इस प्रतिमा के इन्स्पेक्शन के लिए 10 से 15 दिन मेँ भारत से टीम चीन जाती थी
- इस प्रतिमा के चहरे को बनने मेँ 3 महीने का समय लगा और इसमें 1800 बार बदलाव किए गए
- इस प्रतिमा को अलग अलग 16 भागों मैं तैयार किया गया
- इस प्रतिमा को इतनी बरीखी से जोड़ा गया है कि आपको कहीं भी आपको जॉइन्ट का निशान नहीं दिखेगा
- चीन की कंपनी को इसे तैयार करने मेँ 18 माह का समय लगा
- इसका बजन 650 टन है यह प्रतिमा 850 टन स्टील की इनरकोर के सहारे खड़ी है
- इस प्रतिमा मेँ 82% कॉपर के साथ साथ जिंक, टिन, गोल्ड,और सिल्वर लगा है
- इस प्रतिमा के साथ साथ यहाँ 108 भगवान विष्णु के छोटे छोटे मंदिर भी बनाए गए हैं
- इन 108 मंदिरों को बनाने के लिए राजस्थान बंसी पहाड़पुर से पिंक, भैसलाना से ब्लैक मार्बल, आंध्रा, और तमिलनाडु से ब्लैक स्टोन ले गए
- ये पूरा कैंपस 200 एकड़ मेँ फैला हुआ है जबकि प्रतिमा की साइट 40 एकड़ मेँ है
- यहाँ एक 42 फीट ऊंचा मूजिकल फाउंटेन भी लगाया गया है जिसे चीन से लाया गया है
- इस मूजिकल फाउंटेन के जरिए रामानुजाचार्य की लीलाओं को दिखाया जाएगा
- इस केम्पस के प्रवेश द्वार पर हनुमान जी और गरुण की 18-18 फीट ऊंची प्रतिमाएं लगी है
- रामानुजाचार्य की बड़ी प्रतिमा के नीचे उनकी एक छोटी 120 किलो सोने से निर्मित एक प्रतिमा स्थापित की गई है
- ऐसा कहा जा रहा है की यहाँ से 14 फरवरी तक 1035 कुंडी लक्ष्मी नारायण यज्ञ होगा
- इस यज्ञ मेँ देश भर के अलग अलग हिस्सों से इकट्ठा किए गए डेढ़ लाख किलो देशी घी का इस्तेमाल किया जाएगा
- हैदराबाद से 40 किलोमीटर दूर मुनचितल रोड पर इसे बनाया जा रहा है
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